Introduction to Ayurveda and cure for most of the diseases like cancer, spondylitis, asthma, etc using cow products. Emphasis on prevention than cure.
Apne Doctor Swayam Bane is written in simplest manner and language to make you understand difficult subject of Ayurved - Vaat, Pitt, Cough and their properties. It helps you identify your food and its impact to your body. A worth buying top seller book
Author: Uttam Maheshwari
200 pages, 2nd Edition 2017
डाक्टरों से भी पहले पहचाने अपनी बीमारी
वात
पित्त
कफ
क्या करें जब दो दोष कुपित हों
आम (आंव)
ऋतुचर्या
पैर गरम पेट नरम और सिर हो ठंडा
दोषों में हैं व्यक्तितत्व निखारने के गुण
कफ - पित्त - वात : प्रारंभ - मध्य - अंत
वात - पित्त - कफ पर सत्व - रज - तम का प्रभाव
नाभि खिसकना
परम्पराओं में है अनमोल स्वास्थ्य
क) आहार विज्ञान ख) विहार विज्ञान
त्याहारों में है स्वास्थ्य कुंजी
महारोग - नक़ल रोग
कालिदास रोग
शकुनी हॉस्पिटल
आपात्कालीन पारम्परिक नुस्खे
आयरन - कैल्शियम
क्या इस पुस्तक को पढ़ आप अपने डॉक्टर स्वयं बन जायेंगे ?
अपने डॉक्टर स्वयं बनें
इस पुस्तक से लाखों का लाभ
and so many other topics including कफ, पित्त, वात, ऋतुचर्या, रोगों की पहेचान और उपचार, व्यायाम, हृदय रोग, विवाह, श्रेष्ठ संतान, राष्ट्रीय स्वस्थ्य… और ढेर सारी जानकारी
'स्वास्थ्य षट्यत्रों के युग में अपने डाक्टर स्वय बने' मुख्य रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित है, लेकिन मनुष्य शरीर और मन तक ही सीमित नहीं । परिवार, राष्ट्र और अध्यात्म का भी उसके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पडता है । इसलिए इन तीनो का भी इस पुस्तक में समावेश किया गया है ।
पारिवारिक स्वास्थ्य - हजारों वर्षों से चले आ रहे संयुक्त परिवार अचानक दोषपूर्ण दिखाई देने लगे, एकल परिवार का युग आया, लेकिन ये एक शताब्दी भी नही चले कि टूटने लगे । वास्तव में परिवार टूट नहीं रहे है , षड्यत्रपूर्वक उन्हें तोडा जा रहा है । टूटे या घुटन भरे परिवार मे कोई केसे स्वस्थ रह सकता है? इसलिए पारिवारिक स्वास्थ्य पर भी इस सस्करण में प्रकाश डाला गया है ।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य - जिस प्रकार गर्मी से पैदा हुई घमौरिमाँ वर्षा होते ही शांत हो जाती है , उसी तरह व्यवस्था के कारण पैदा हुए रोग - भष्टाचार, सांप्रदायिकता, जातिवाद अराजकता, असमानता, नैतिक पत्तन आदि - व्यवस्था के बदलने से ही ख़त्म होंगे । भारत में भारतीय व्यवस्थाओं की स्थापना की आवश्यकता है । तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति स्वस्थ नहीं रह सकता । इसलिए व्यवस्था परिवर्तन की चर्चा भी इस पुस्तक म को गई है ।
आध्यात्मिक स्वास्थ्य - कलियुग में अध्यात्म के नाम पर बहुत से पाखडियों ने अपनी दुकानें खोल ली है । TV के कारण तो इनका प्रभाव बहुतही बढ गया है । अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले साधकों की सख्या वैसे ही बहुत कम है और उन्हें भी ये असुर ठगकर उनका मानव जीवन ही नष्ट कर देते है । इन मायावियों से बचने के लिए विभिन्न मत-पंथों के माननेवाले साधकों के लिए अध्यात्म को कुछ मूलभूत बातें समझना बहुत ही जरूरी है । लेखक अध्यात्म के विषय पर लिखने का अधिकारी नही है । इसलिए परमपूज्य स्वामी रामसुखदासजी महाराज की पुस्तकों से प्राप्त मार्गदर्शन को पुस्तक में उदधृत्त किया है ।
आशा है पाठको का व्यंग्यवित्रों से युक्त यह समग्र मैं स्वास्थ्य पुस्तक काफी उपयोगी लगेगी । जिन्हें हिन्दी का ज्ञान कम है वे भी पुस्तक का पूरा लाभ उठा सके । इसलिए हर पृष्ट म नीचे english भावार्थ और पुस्तक के अंत में शब्दावली दी है ।
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